मानस सत्संग के स्थापक एवं प्रणेता श्री धवलकुमारजी है । जो अपनी बारह साल की आयु से सुन्दरकाण्ड पाठ प्रचार हेतु तबला के साथ संगीतमय शैली में सुन्दरकाण्ड पाठ करते है । अपनी छोटी सी उम्र से हीं कई संस्थाएं एवं वक्ताश्रीओं के साथ उनका अनुसन्धान हुआ । गुजरात के कई गाँव-शहर के साथ साथ भारत के कई राज्य (जैसे महाराष्ट्र, दिल्ही, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ) में सुन्दरकाण्ड पाठ करने का सुअवसर प्राप्त हुआ है । अमरिका, औस्ट्रेलिआ, जैसे विदेशों में भी संगीतमय सुन्दरकाण्ड पाठ, सुन्दरकाण्ड कथा, श्री रामकथा हेतु यात्रा कर चूंके है । सत्संग यात्रा के साथ साथ अभ्यास में संस्कृत विषय को मुख्य रुप सें स्वीकार करके बी.ए., एम.ए. (सुवर्णचंद्रक), एम.फील. तक अभ्यास पूर्ण किया ।