परिचय - “मानस सत्संग”

श्री हनुमानजी की पूर्ण कृपा से एवं अयोध्यानाथजी भगवान की महती अनुकंपा से व संत श्री गोस्वामीजी तुलसीदासजी महाराजजी के अनंत आशीर्वाद से “मानस सत्संग” विश्वभर में श्रीरामचरितमानस के प्रचार हेतु प्रवृत्ति कर रहा है । हम सभी जानते है की श्रीरामचरितमानस के रचयिता संत श्री तुलसीदासजी है ।  यह ग्रन्थ भारतीय संस्कृति का सारभूत  ग्रन्थ है ।  केवल भारतीय साहित्य में ही नही बल्कि विश्व साहित्य में इस ग्रन्थ का सर्वोच्च स्थान है । यह मानव जीवन का महाकाव्य है । हमारे जीवन की समस्त सामाजिक एवं आध्यात्मिक समस्या का हल है । श्रीरामचरितमानस ग्रन्थ रचना का केन्द्रबिंदु विषय भले ही भगवान रामजी की कथा हो परन्तु गोस्वामीजी का मूल उद्देश्य श्री राम चरित्र के माध्यम से मानव समाज में प्रामाणिकता, नैतिकता, सद्भावना, सहयोग, सदाचार, प्रेम-भावना, एवं मानवीय मूल्यो को प्रतिष्ठित करना है । निःसन्देह गोस्वामीजी ने इस ग्रन्थ  की रचना स्वान्तः सुखाय एवं लोक-कल्याण को दृष्टिमें रखकर की है । वास्तव में साहित्य का मूल प्रयोजन कल्याणकारी ही होता है । बालकाण्ड में कहा है कि –

कीरति भनिति भूति भलि सोई । सुरसरि सम सब कह हित होइ ।।

अर्थात, इस जगत में कीर्ति, कविता, और सम्पति, वही उत्तम है जो गंगाजी की तरह सबका हित करने वाली हो, कल्याण करनेवाली हो ।

श्रीरामचरितमानस एक आदर्श ग्रन्थ है । कर्म, ज्ञान एवं भक्ति तत्व के साथ साथ व्यवहारिक बोध का समन्वय सहज रुप से किया गया है । मानव को कैसा आचरण करना चाहिए वह सिखाताहै । आदर्श राजा, आदर्श प्रजा, आदर्श सेवक, आदर्श भाई, आदर्श पुत्र, आदर्श माता, आदर्श पिता, ईत्यादि का स्वरुप ग्रन्थ में प्रस्तुत किया है । एक अर्थ में कहे तो यह कृति व्यवहार दर्पण है एवं मानव व्यक्तित्व का अनूठा आदर्श है । श्रीरामचरितमानस का मूल प्रतिपाद्य विषय प्रेम है । प्रेम को ही प्रतिपाद्य मानकर संपूर्ण ग्रन्थ को सात काण्डोमें विभक्त किया गया है । भगवान रामजी को पाने का कोई पंथ नहीं है । इनको केवल प्रेमसे पाया जा सकता है । इस संसार में अनेक जप, तप, यज्ञ, शम (मन को रोकना), दम (इन्द्रियों को रोकना), व्रत, दान, वैराग्य, विवेक, योग, विज्ञान, आदि सबका फल श्री रघुनाथजी के चरणों में प्रेम होना है । इसके बिना कोई कल्याण नहीं पा सकता है ।

जप तप मख सम दम ब्रत दाना ।  बिरति बिबेक जोग बिग्याना ।।
सब कर फल रघुपति पद प्रेमा । तेहि बिनु कोउ न पावइ छेमा ।।

श्रीरामचरितमानस एक एसी कालजयी कृति है जिसने जन जन को प्रभावित किया है । सभी भगवद्चरणानुरागी, मानस प्रेमी, रामभक्त, श्रीरामचरितमानस का अखंड पाठ करके परम बिश्राम की अनुभूति करते है । गोस्वामीजीने उत्तरकाण्डमें कहा है कि –

रामहि सुमिरिअ गाइअ रामहि । संतत सुनिअ राम गुन ग्रामहि ।।

अर्थात, श्री रामजी का ही स्मरण करना, श्री रामजी का ही गुण गुना ओर निरन्तर श्री रामजी के ही गुणसमूहो को सुनना जाहिए । इस चोपाईमें तीन सूत्र दिए –

राम स्मरण – मन से भगवान का स्मरण ।
राम गायन – मुख से भगवान का गुणकीर्तन गाना ।
राम श्रवण – कान से भगवान की कथा सुनना ।

इस चोपाई को ही हृदय में धारण करते हुए अहमदाबाद स्थित “मानस सत्संग”भगवतकृपा से संगीतमय श्रीरामचरितमानस गान, सुन्दरकाण्ड पाठ, श्री रामकथा, नवाह्न पारायण, ईत्यादि प्रवृत्तियाँ कर रहा है । गोस्वामीजी महाराजजी के इस ग्रन्थ की लोकप्रियता के कारण अब केवल मानस एसे शब्दप्रयोग मात्र से ही श्रीरामचरितमानस ग्रन्थ का बोध हो जाता है । इसलिए इस संस्था का शीर्षक “मानस सत्संग” है । मानसजी के श्रवण, गान, पठन, सत्संग के माध्यम से हम सभी कल्याणकारी मार्ग का अनुकरण करें (स्वस्तिपन्थामनुचरेम) एसे पवित्र ध्येय के साथ जन जन के मानस में एवं हृदय में श्रीरामचरितमानसजी की चोपाईयां गुंजती रहे इसके लिए यह संस्था नम्र प्रयास कर रही है ।

श्रीरामचरितमानसजी की पवित्रतम् चोपाईयों का गुंजनाद जब पवित्र स्थानो में होता है तब वक्ता-श्रोता, आयोजक गण पवित्रता, दिव्यता और धन्यता का अनुभव करते है । इसी आशय से मानस सत्संग (श्रीधवलकुमारजी) के द्वारा गुजरात (भारत) के कई तीर्थस्थानो एवं मंदिरो में संगीतमय सुन्दरकाण्ड पाठ का अद्भुत आयोजन हुआ है ।

श्री गणेशजी मंदिर (कोठ, गणेश)
श्री कष्टभंजनदेव हनुमानजी मंदिर (साळंगपुर)
श्री जलाराम मंदिर (वीरपुर)
श्री अम्बाजी मंदिर (अम्बाजी)(गब्बर शिखर के उपर)
श्री संतराम मंदिर (नडियाद)
श्री रणछोडरायजी मंदिर, गोमतीघाट (डाकोर)
श्री जलाराम मंदिर (बारडोली)
श्री लम्बे हनुमानजी मंदिर (सुरत)

अहमदाबादः

  1. श्री हनुमानजी मंदिर (घोडासर)
  2. श्री विश्वेश्वर महादेव (घोडासर) (सुन्दरकाण्ड, रामकथा)
  3. श्री केम्प हनुमानजी (शाहिबाग)
  4. श्री मारूतिधाम (एस.जी.हाइवे)
  5. श्री बिलेश्वर महादेव (सेटेलाइट)
  6. श्री स्वामिनारायण मंदिर (नारायण घाट)
  7. श्री स्वामिनारायण मंदिर (जीवराजपार्क)
  8. श्री स्वामिनारायण मंदिर (नारणपुरा)
  9. श्री स्वामिनारायण मंदिर (रामबाग, मणिनगर)
  10. श्री शनिदेव मंदिर (रायपुर)
  11. श्री अम्बे मंदिर (मणिनगर)

बडोदाः

  1. श्री महारुद्र हनुमान संस्थान (वाडी)
  2. श्री गायत्री आश्रम (शेरखी)
  3. श्री हठिला हनुमान (सुरसागर)
  4. श्री शनिदेव मंदिर (वाडी)
  5. श्री रोकडनाथ हनुमानजी मंदिर
  6. श्री स्वामिनारायण मंदिर (वाडी)
  7. श्री स्वामिनारायण मंदिर (कलाली)

वर्ष २०११ में पतित पावनि मां गंगाजी के पावन तट पर (परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश) परम पूज्य भाइश्री की रामकथा में एवं परम पूज्य चिदानंद सरस्वतीजी मुनिजी के पावन सानिध्य में सुन्दरकाण्ड पाठ हुआ जिसमें दो हजार से भी ज्यादा मानसप्रेमीओने पठन और श्रवण का लाभ लिया था ।